वर्जित स्वर | मध्यम (म), निषाद (नि) |
वादी स्वर | गंधार (ग) |
सम्वादी स्वर | धैवत (ध) |
न्यास के स्वर | सा, ग और प |
मिलता-जुलता राग | देशकार |
थाट | कल्याण |
जाति | औडव-औडव |
गायन समय | रात्रि का प्रथम प्रहर (6:00-9:00 PM) |
विशेषताएं
- यह पूर्वांग प्रधान राग है।
- इसका चलन मुख्यत: मन्द्र और मध्य सप्तक के प्रथम हिस्से में होता है। उत्तरांग प्रधान होने से राग देशकार हो जाएगा।
- इस राग में बड़ा ख़्याल, छोटा ख़्याल, तराना गाया जाता है। इसमें ठुमरी नहीं गायी जाती।
- कुछ पुराने संगीतज्ञ इसमें प-रे की संगति करते है, किन्तु अधिकांश संगीतज्ञ ऐसा नहीं करते।
- इसे राग भूप के नाम से भी जाना जाता है।
- दक्षिण भारतीय संगीत में इसे मोहन राग कहते हैं।